Wednesday, November 2, 2011

खादर के लोकगीत-५

खादर के लोकगीत-५

कौंचा चिमटा और नक्चुन्ड्डी
तरनाल लगा लै नै..
हे आजा रै बागड़ो, तो के कुछ ले री सै ?
हो हाथी घोड़े हम न लेन्दे..
तुड़ा दे दिए..
गऊ के जाये भुक्खे चौधरी,
तू गैरा दे दिए.

आजा रै बागड़ो ,
मै गेंठ लगा दूंगा.
हो छोड़ चौधरी, छोड़ चौधरी गड्डे जै लिए,,

गड्डे जै लिए दूर चोधरी
मै कित सै टोहुंगी ?
हो गड्डों का लारा छोड़ बागड़ो .
मै शहर घुमा दूंगा.
हो घूम घाघरे छोड़ बागड़ो
मै साढ़ी लै दूंगा.
हो जुत्ती चप्पल छोड़ बागड़ो
मै सैंडल ला दूंगा.
धरती का सोणा छोड़ बागड़ो
मै बैड ला दूंगा.
कौंचा चिमटा...

कुंवर सत्यम..

यह गीत मेरी पुस्तक " खादर संस्कृति" का संकलित अंश है. यह भारतीय कोपी राइट एक्ट के अंतर्गत मेरे नाम से सुरक्षित है .इसका किसी भी अन्य रूप में प्रयोग वर्जित है.सन्दर्भ के लिए मेरी लिखित अनुमति आवश्यक है..
धन्यवाद.