Monday, September 26, 2011

खादर के हास्य लोकगीत-२


खादर के हास्य लोकगीत-२

मै तो पहर पंजाबी सूंट,
कुए पै जल भरण गई .
मेरे, छोरों मै बैट्ठे भरतार ,
नज़र उसकी मेरे पै पड़ी.
हो या किस छैल की नार ?
चलै रै गजबण डट डट कै..

या उस रै छैल की नार ,
जो पजामा पहरै, नाडा लटकै..
हे मै वापिस घर नै आई ,
सजन तो मिल्या जल-भुन कै.

गोरी जिब रै लड़ाए तेरे लाड ,
सुवाई धोरै हवा कर कै.
आज काट्टूगां तेरी नैड.
बगड़ बिच खडी कर कै.
पिया म्हारा कोई न दोष ,
नाडा तो थारा अब बी लटकै.

कुंवर सत्यम.

This work is a part of my book " Khadar Culture." under publication. All rights are reserved with me.no part of this work can be reproduced in any form..Prior permission of the author is compulsory for any reference.

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