Tuesday, September 27, 2011

खादर हास्य लोक गीत-३


खादर हास्य लोक गीत-३

अपणे घरो कधी काम करया ना,
तेरी माँ करवावै सै .
छः सर पक्का धरया पीसणा,
मेरे पै पिसवावै सै ..

चुप हो जा रै गोरी,चुप हो जा ,
चुपकी हो कै सोजा.
कुछ मै पिस्सू कुछ तो पिस्से,
चून रोज का हो जै सै.

आधी रैत पहर का तड़का..
राजा नै चाक्की झोई हे .
सुण चाक्की की घोर बहाण मै,
तैण रिजाई सोई हो.

मेरी सास्सू नै पता चैल्या .
रुक्के देत्ती गई घेर मै,
घरो डरामा हो ऱ्या हो .
बहु सो रई तेरा बेट्टा पिस्से,
चाक्की मै झोट्टा जुड़ ऱ्या हो.

चाल्ली जा रै बदमाश अड़े तै
क्यूँ सोत्ता नगर जगाया रै .
गली गली छिड़ी लड़ाई .
रुक्का रोला हो ऱ्या सै.
भित्तर सै मेरा राजा लिकडया,
चून मै धोला हो ऱ्या सै .
यारी दोस्ती करै मसकरी ,
यु के चाला हो ऱ्या सै.

मेरी बहु कमजोर घणी भाई ,
चाक्की मै झोट्टा जोड्या सै.

कुंवर सत्यम .

This work is a part of my book " Khadar Culture." under publication. All rights are reserved with me. No part of this work can be reproduced in any form..Prior permission of the author is compulsory for any reference.

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